बेगुसराय, मार्च 19 -- शहर की ऊंची-ऊंची इमारतें और चमचमाते फर्श जिन हाथों की मेहनत से बनते हैं, वही हाथ बदहाली और अनदेखी का शिकार हैं। टाइल्स और मार्बल मिस्त्री दिनभर मेहनत कर दूसरों के सपनों को साकार करते हैं, लेकिन उनकी अपनी जिंदगी असुरक्षा, कम मजदूरी और ठेकेदारों की मनमानी में फंसी रहती है। कभी काम की कमी, तो कभी भुगतान में देरी उनके संघर्ष को और बढ़ा देती है। सरकारी योजनाएं पहुंच से दूर हैं, और सम्मानजनक जीवन उनके लिए अब भी एक सपना है। शहर के कोने-कोने में नई इमारतें खड़ी हो रही हैं, चमचमाती टाइल्स और संगमरमर से सजे फर्श लोगों के सपनों को हकीकत में बदल रहे हैं। लेकिन इन सपनों को हकीकत में बदलने वाले हाथों की हकीकत कोई नहीं जानता। टाइल्स और मार्बल मिस्त्री, जो हर घर और दफ्तर को सुंदरता का नया आयाम देते हैं, वे खुद बदहाली और संघर्ष में ज...