बुलंदशहर, जून 22 -- घरों की सुंदरता और मजबूती का आधार माने जाने वाले फर्नीचर कारीगर आज आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं। लकड़ी की गंध, मशीनों की गड़गड़ाहट और धूल से भरे माहौल में काम करने वाले ये कारीगर न केवल आर्थिक तंगी झेल रहे हैं, बल्कि स्वास्थ्य, सामाजिक और राजनीतिक उपेक्षा का भी शिकार हैं। इनको आज तक विश्वकर्मा योजना स न तो टूल किट मिले न ही प्रशिक्षण। श्रम विभाग में भी इनका रजिस्ट्रेशन नहीं है। इससे कई सरकारी योजनाओं का लाग नहीं मिल पाता है। कई लोगों का आयुष्मान कार्ड तक नहीं बना है। इन्होंने प्रशासन से लकड़ियों की खरीद पर वित्तीय सहायता और आयुष्मान योजना का लाभ दिलाने की मांग की है। फर्नीचर कारीगर आज सामाजिक और राजनीतिक रूप से भी हाशिए पर हैं। पंचायतों, नगर निकायों या जिला स्तर की समितियों में इनका कोई प्रतिनिधित्व नहीं होता। चुनाव ...