बुलंदशहर, मई 13 -- निर्माण कार्य में लगे राज मिस्त्रियों के सामने संकट कम नहीं है। उनकी हालत मनरेगा मजदूरों से भी खराब है। जिले में 25 सौ से अधिक राजमिस्त्री मकान, दुकान के साथ-साथ बड़े-बड़े शॉपिंग कांप्लेक्स और मॉल बनाने का काम करते हैं। इन मिस्त्रियों का दर्द है कि उनके पास खुद के खड़े होने तक की जगह नहीं है। हर दिन कम मजदूरी और ठेकेदार की अपेक्षाओं दंश वह झेलने को मजबूर रहते हैं। तमाम दावों के बीच भी उन्हें पूरा मेहनताना नहीं मिल पाता। जिला बुलंदशहर में कई स्थानों पर राजमिस्त्री खड़े हुए मिल जाते हैं। इनमें से अधिकांश ऐसे हैं जो प्रतिदिन काम की तलाश में लेबर चौक आते हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो ठेकेदारी में काम करते हैं। यह वर्ग जो अपने हुनर से ऊंची-ऊंची इमारतें खड़ी कर देते हैं, खुद बदहाली की बुनियाद पर खड़े हैं। उनकी मेहनत से शहर के आलीशान...