सीवान, नवम्बर 2 -- 1. तेज जनसंख्या वृद्धि और अव्यवस्थित शहरीकरण ने शहरों को समस्या का केंद्र बना दिया है। आवास, ट्रैफिक, कचरा प्रबंधन और हरित क्षेत्र की कमी गंभीर चुनौतियां हैं। शहर सिर्फ इमारतों का समूह नहीं होते, बल्कि उनमें रहने वाले लोगों की जीवन गुणवत्ता भी मायने रखती है। दुर्भाग्य से नियोजन प्रक्रिया राजनीति और जमीन कारोबार के बीच फंस जाती है। - अर्जुन कुमार 2. अराजक शहरी विस्तार का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव पर्यावरण पर पड़ता है। हर दिन हरे क्षेत्र कंक्रीट में बदलते जा रहे हैं। भूजल तेजी से घट रहा है और वायु प्रदूषण स्वास्थ्य संकट बन चुका है। बिना योजना के बसावट से नदियां नालों में बदल गई हैं और कचरा निस्तारण की समस्या विकराल होती जा रही है। हमें विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन साधना होगा। हर शहर को पर्यावरणीय क्षमता के आधार पर विस्तार क...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.