बिहारशरीफ, अक्टूबर 19 -- बोले खादी को मिले आधुनिक बाजार, तभी आत्मनिर्भर बनेंगे बुनकर युवाओं में बढ़ रहा रुझान, पर महंगाई और मार्केटिंग की कमी बनी बड़ी चुनौती बिहारशरीफ। खादी, जो कभी स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक थी, आज फैशन और बाजार की प्रतिस्पर्धा में अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है। खादी के प्रति लोगों का रुझान तो बढ़ा है, लेकिन इसकी राह में आज भी कई बाधाएं हैं। पिछले पांच सालों में कच्चे माल की कीमतों में 35% तक की बढ़ोतरी ने खादी वस्त्रों को महंगा कर दिया है, जिससे यह आम आदमी की पहुंच से कुछ दूर हुई है। हालांकि, सरकारी अनुदान से कीमतों पर कुछ हद तक लगाम लगी है। खादी की सबसे बड़ी चुनौती इसकी मार्केटिंग और आधुनिक डिजाइन की कमी है। पटना में खादी मॉल खुलने से बिक्री तो बढ़ी है, लेकिन छोटे जिलों और कस्बों में आज भी खादी उत्पादो...