बिजनौर, जुलाई 11 -- बिजनौर जिले में लकड़ी का काम करने वाले कारीगरों के सामने रोजगार खत्म होने का संकट खड़ा हो गया है। उनके काम का दायरा सिमट रहा है। लकड़ी पर अपना हुनर दिखाने वाले इन कारीगरों की कभी खास पहचान थी। शादी-ब्याह के मौके पर महीनों पहले ही कारीगरों को बुलाया जाता। वे घर में रहकर फर्नीचर तैयार करते और सम्मानजनक मेहनताना पाते थे। लेकिन अब मशीनों से बने रेडीमेड फर्नीचर, प्लास्टिक और चाइनीज उत्पादों ने हाथ के हुनर की कद्र कम कर दी है। वहीं आर्थिक तंगी, सरकारी योजनाओं से वंचित रहना, स्वास्थ्य उपेक्षा और सामाजिक असुरक्षा ने इनकी जिंदगी को कठिन बना दिया है। कारपेंटरों का कहना है कि उन्हें आज तक विश्वकर्मा योजना को कोई लाभ नहीं मिला है। कारपेंटर आयुष्मान कार्ड की योजना से दूर बने हुए हैं। हर स्तर पर इन्हें संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है...
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