बिजनौर, मार्च 7 -- शहर को चमकाने में पसीना बहाते हैं, खुद की जिंदगी में अंधेरा पाते हैं। कुछ ऐसा ही दर्द नगरपालिका आउटसोर्सिंग सफाईकर्मी अपने भीतर समेटे हैं। अल्पवेतन पर काम करते हैं। अधिकांश के पीएफ के जो सालों से पैसे कटते आ रहे हैं, उनका हिसाब-किताब ही नहीं मिल पा रहा। इसके लिए गुहार लगाते चले आ रहे हैं, लेकिन नक्कारखाने में तूती की तरह कहीं आवाज दबकर रह जाती है। बीमार पड़ने पर इलाज स्वयं कराते हैं। ईएसआई सुविधा तो दूर कार्ड तक नहीं बने हैं। हादसा होने पर भी किसी की जिम्मेदारी तय नहीं है। गंदगी व खतरनाक कचरे के काम के लिए ग्लब्स, शूज व मास्क मिलने चाहिएं, लेकिन इन सबके बिना ही ये स्वच्छता के प्रहरी गंदगी से जूझते नजर आते हैं। नगरपालिका के आउटसोर्सिंग सफाईकर्मियों की स्थिति चिंताजनक है। उनकी समस्याओं के समाधान के लिए तत्काल कार्रवाई की आ...
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