बिजनौर, मई 29 -- शहर की सड़कों पर हर दिन आपको कुछ ऐसे चेहरे दिखते हैं, जो अपने छोटे से ठेले या पटरी पर सजी दुकानों के जरिए न सिर्फ अपना पेट पालते हैं, बल्कि आम जनता को भी किफायती दामों पर जरूरी सामान उपलब्ध कराते हैं। बड़े-बड़े मॉल और शोरूम मे जाकर महंगे सामान नहीं खरीद पाते ऐसे लोगों के सपने को पूरा करने वाले ये रेहड़ी-पटरी वाले, जो हमारे शहरी जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं, खुद अस्थायित्व और असुरक्षा से जूझ रहे हैं। उनके पास ना पक्का ठिकाना है, ना ही कोई संरक्षित अधिकार। पुलिस, प्रशासन की ओर कभी भी इन पर गाज गिर जाती है। जहां- तहां से अतिक्रमण के नाम पर उन्हें कभी भी हटा दिया जाता है। अब इन छोटे व्यापारियों की एक ही पुकार है-'हमें या तो एक स्थायी ठिकाना मिल जाए, या फिर आये दिन होने वाला उत्पीड़न बंद हो जाए। नजीबाबाद के प्रमुख स्थान रेलवे स्ट...
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