बिजनौर, सितम्बर 28 -- बिजनौर के गांव शादीपुर में रामलीला का इतिहास काफी पुराना है। शादीपुर में करीब 70 वर्षों से रामलीला का मंचन हो रहा है। हिंदू और मुस्लिम रामलीला में मिलकर काम करते हैं। कई मुस्लिम कलाकार आज भी विभिन्न भूमिकाओं में मंच पर नजर आते हैं। जिससे गंगा-जमुनी तहजीब की मशाल रोशन होती है। गांव की करीब 8000 की आबादी हैं। अब केवल 1000 से 1500 दर्शक ही प्रतिदिन रामलीला देखने जुटते हैं, जबकि पहले यहां खचाखच भीड़ रहती थी। समिति के लगभग 70 सदस्य आयोजन को जीवित रखने में लगे हुए हैं, मगर कलाकारों की कमी सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी है। युवाओं का रुझान अब पारंपरिक मंचन से हटकर आधुनिक मनोरंजन साधनों की ओर बढ़ गया है, जिसके कारण पर्याप्त कलाकार नहीं मिल पा रहे। स्थानीय लोगों का कहना है कि तमाम कठिनाइयों के बावजूद समिति हर साल रामलीला आयोजित कर रही...