बिजनौर, मई 9 -- बिजनौर में सुरक्षा अभ्यास के तहत 15 मिनट के ब्लैक आउट में जिम्मेदारी और जागरूकता की परीक्षा हुई। युद्ध के माहौल में यह बेहद जरूरी कवायद है और इस दौरान होने वाली हर चूक से सबक लेने की जरूरत है। क्योंकि मॉकड्रिल हमे सचेत रहना ही नहीं सिखाती बल्कि इससे हमारी कमियों का भी पता चलता है। इसलिए मॉकड्रिल में जो सीखा उससे सबक जरूर लें। सारयन बजते ही ठहर जाना, लाइटें बंद कर लेना, खामोश हो जाना। सड़क हो या घर, बाजार हो या मॉल। रोशनी नजर नहीं आनी चाहिए थी। केवल 15 मिनट के लिए ऐसा करना था। खुद को आपात स्थितियों के लिए तैयार करना था। अफसोस कि बिजनौर का कुछ हिस्सा छोड़ दें तो अन्य स्थानों पर लोग ऐसा नहीं कर सके। युद्धकाल में सुरक्षा की दृष्टि के मद्देनजर की गई मॉकड्रिल लोगों की सिविक सेंस की कमी के चलते औपचारिकता बनकर रह गई। सिविक सेंस की...
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