बिजनौर, जून 14 -- लोगों के घरों की शान कहलाने वाला मंडावर के दयालवाला व कोहरपुर का मूढ़ा उद्योग संसाधन के अभाव में सिसक रहा है। बिजनौर को आसपास के प्रदेशों में अलग पहचान दिलाने वाले मूढ़ा उद्योग से जुड़े लोग अपने पुरखों की परंपरा को संभाले हुए हैं। इनका कहना है कि संसाधन व प्रशिक्षण मिले तो जिले का मूढ़ा उद्योग देश भर में अपनी अलग पहचान बना सकता है। मेहनत के बावजूद मूढ़ा कारीगरों को वाजिब दाम नहीं मिल पाते। दोनों गांवों के करीब 400 परिवार मूढ़ा उद्योग से जुड़े हुए हैं। इन परिवारों के करीब 1500 लोग मूढ़ा बनाने के काम में लगे हुए हैं। मूढ़ा कारीगरों का कहना है कि उन्हें उद्योग बढ़ाने के लिए बैंकों से लोन तक नहीं मिल पाता। आयुष्मान कार्ड जैसी सुविधा भी नहीं मिल पा रही है। मूढ़ा बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले सरकड़ा (सर्वा) पर वन विभाग को टैक्स भी देना ...