बिजनौर, अप्रैल 1 -- गुजरे हुए लम्हों को मैं एक बार तो जी लूं, कुछ ख्वाब तेरी याद दिलाने के लिए हैं। मिर्जा गालिब का ये शेर खुशी भरे लम्हों की यादों को संजोकर देने वाले फोटोग्राफर्स व फोटो स्टूडियों संचालकों पर खरा उतरता है। फिल्म वाले कैमरों से डिजिटल तक का सफर तय करने वाले इन फोटो आर्टिस्ट का कारोबार स्मार्टफोन के चलते हाशिए पर आ चुका है। पहले बर्थडे पार्टी, छोटे-छोटे प्रोग्रामों तक में लोग फोटोग्राफर्स को बुलाते थे, आज इनकी डिमांड महज शादियों तक सिमटकर रह गई है। शादियों व अन्य समारोहों के खुशियों के पलों को संजोकर रखने वाले प्रोफेशनल फोटोग्राफर्स वाकई विषम परिस्थितियों में काम कर रहे हैं। फोटोग्राफर्स एसोसिएशन प्रभारी पुष्पराज कमल के अनुसार पहले के दौर में फोटोग्राफी में फिल्म कैमरों का उपयोग होता था आज डिजिटल कैमरों के आने से क्रांति आ...