बिजनौर, अप्रैल 4 -- ठेली विक्रेताओं के सामने रोजाना कुआं और खाई वाली स्थिति बनी रहती है। ठेली विक्रेताओं के पास न तो कोई ठौर है और न स्थायी ठिकाना है। ठेली विक्रेताओं के नसीब में खानाबदोश की तरह रोजाना अपनी रोजी-रोटी की तलाश में दर-दर भटकना लिखा है। नगरपालिका ने कुछ वेंडर जोन बनाए जरूर है, मगर अभी तक नगरपालिका ने ठेली विक्रेताओं को अलॉट नहीं किया है। नो वेंडर जोन में जाने पर पालिका और पुलिस दोनों ठेली वालों के चालान करती रहती रहती है। बाजारों में जाम का इल्जाम भी ठेली वालों पर ही लगता है। किसी की दुकान के सामने ठेली खड़ी करने पर उन्हें दुत्कार दिया जाता है। ठेली वालों ने कई बार नगरपालिका से स्थाई ठिकाना देने की गुहार लगाई है। बिजनौर शहर में करीब 700 फल ठेली विक्रेता मौजूद हैं। जबकि नगरपालिका से करीब 300 ठेली विक्रेता पंजीकृत हैं। फल ठेली व...
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