बिजनौर, अप्रैल 14 -- हजारों दिहाड़ी मजदूर आज भी कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। दिहाड़ी मजदूरों को अक्सर उनकी मेहनत के मुताबिक पारिश्रमिक नहीं मिलता। कई जगह तो मात्र 250-350 रुपये तक की दिहाड़ी ही मिल पाती है। स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव और रोजगार के लिए महानगरों की ओर पलायन जैसी कई समस्याएं हैं जिनसे दो चार होना पड़ता है। दिहाड़ी मजदूरों के जीवन में बदलाव के लिए महानगर में बड़े स्तर इंडस्ट्री स्थापित करने, आधुनिक प्रशिक्षण देने, रोजगार की निश्चिता तय करने, स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा देने की आवश्यकता है। नगरपालिका चौक पर एकत्र इन मजदूरों से बात करने पर उनकी कई परतें खुलती हैं। जब हम विकास की बात करते हैं, तो हमें इन चेहरों को नहीं भूलना चाहिए जो हर सुबह चौक पर उम्मीद की धुंध में अपनी रोजी-रोटी की तलाश में खड़े रहते हैं। इनकी अनकही दास्तान हमारी...