बिजनौर, फरवरी 20 -- गांव छोड़कर कॉलोनी में तो आ गए, लेकिन मिला वही धूल और टूटी सड़क। साल दर साल इंतजार किया, लेकिन परिणाम वही ढाक के तीन पात। कहने को तो कॉलोनी है मगर अव्यवस्थाओं का बोलवाला हावी है। न सड़क को लेकर दिल खुश हुआ और न ही नाली को लेकर मन प्रसन्न। राधे-कृष्ण कॉलोनी में रह रहे लोगों की न तो कालोनाइजर ने सुध ली और न ही अफसरों ने। परिसीमन के बाद नगर पालिका में शामिल होने के बावजूद भी कालोनी के लोगों को सुविधा की दरकार है। कालोनी के लोग इंतजार में हैं कि नगर पालिका सुध लेगी तो कालोनी के हालात सुधरेंगे। परिसीमन के बाद राधे-कृष्ण कॉलोनी नगर पालिका में शामिल तो हो गई, लेकिन कॉलोनी में प्रवेश करते ही मुख्य द्वारा टूटा पड़ा है। नगर पालिका में शामिल होने के बाद भी कालोनी की सूरत नहीं बदली। कालोनी में एक नहीं कई समस्याओं से कालोनीवासी लड़ रहे ...
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