बिजनौर, मई 15 -- बिजनौर में आशा कार्यकत्री ने अपनी समस्याओं को आवाज उठाती रही हैं। उनका कहना है कि उन्हें कम वेतन के साथ अधिक जिम्मेदारियां सौंपी जा रही हैं। उन्होंने सरकारी कर्मचारी का दर्जा और मानदेय बढ़ाने की मांग की है। बताया कि मिशन टीबी उन्मूलन, एड्स नियंत्रण, और तंबाकू नियंत्रण जैसे अभियानों में भी उनकी भूमिका अहम है, लेकिन इन कार्यों के बावजूद उन्हें नियमित तनख्वाह नहीं मिलती। वे प्रत्येक केस के हिसाब से मानदेय पाती हैं, जो महंगाई के चलते ऊंट के मुंह में जीरा महसूस होता है। सभी योजनाओं के क्रियान्वयन में दिन-रात जुटी आशाएं अस्पतालों में अभद्र व्यवहार का सामना करने से भी व्यथित हैं। स्वास्थ्य विभाग में एक जमाने में जितनी सरकारी योजनाएं आती थीं, उनके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी उस समय सबसे निचले पायदान की कड़ी एएनएम के कांधे पर होती थी...
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