बिजनौर, जून 23 -- देश में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। गांव-देहात से लेकर महानगरों तक, हर कोने में कुछ ऐसे खिलाड़ी हैं जो अपने जुनून, मेहनत और समर्पण से देश का नाम रोशन करने को तत्पर हैं। ताइक्वांडो आत्मरक्षा का खेल होने के बावजूद अपेक्षित सम्मान, संसाधन और सुविधा से वंचित हैं। जिले में ताइक्वांडो खिलाड़ी समस्याओं से जूझ रहे हैं। ताइक्वांडो खिलाड़ियों के मुकाबले ताइक्वांडो कोच की संख्या बेहद सीमित है। जिसके चलते खिलाड़ी तकनीकी गुर से महरूम होते हैं। जिले में पंजीकृत क्लब की संख्या भी बेहद कम है। जिसके चलते ताइक्वांडो खेल को लेकर युवाओं में जागरूकता नहीं है। जिले के खिलाड़ियों के सामने तमाम समस्याएं खड़ी हैं। ताइक्वांडो एक तकनीकी खेल है, जिसमें फुर्ती, संतुलन, अनुशासन और निरंतर अभ्यास की आवश्यकता होती है। जिले में करीब 1000 ताइक्वांडो खिलाड़...
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