बाराबंकी, जुलाई 16 -- शहर, कस्बा और गांव की गलियों, मंदिरों के पास, बाजार और सब्जी मंडियों में छुट्टा जानवरों की बढ़ती संख्या अब लोगों के लिए खतरनाक बनती जा रही है। चाहे गोवंश हों या आवारा कुत्ते इनका आतंक अब केवल गांवों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि शहरों और कस्बों में भी जीवन को संकट में डाल रहा है। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है, खासकर बरसात के मौसम में जब गलियों में फिसलन बढ़ जाती है और इन जानवरों के अचानक हमले से बचना और मुश्किल हो जाता है। सड़कों पर छुट्टा जानवर दिखते ही पकड़कर गोशाला में भेजने के निर्देश हैं, लेकिन पशुपालन विभाग इसको लेकर गंभीर नहीं है। कागजों पर ही अभियान चलाकर अपना कार्य दिखा रहा है, जबकि हकीकत में ऐसा कोई क्षेत्र और हाइवे नहीं जहां छुट्टा जानवर न दिखते हों। बोले बाराबंकी -सड़क चल...