बाराबंकी, जुलाई 26 -- शिक्षा का अधिकार भले ही हर बच्चे का मौलिक अधिकार हो, लेकिन जिले के कुछ सरकारी विद्यालयों की जमीनी हकीकत इस अधिकार के रास्ते में खुद बाधा बनी हुई है। बच्चों को शिक्षा पाने के लिए सिर्फ पाठ्यक्रम नहीं, बल्कि जलभराव, जर्जर भवन, संसाधनों की कमी और खेलकूद के साधनों के अभाव जैसी कई चुनौतियों से जूझना पड़ता है। विद्यालयों में खेलकूद के लिए न तो समुचित मैदान है, न ही फुटबॉल, वॉलीबॉल या एथलेटिक्स के लिए कोई संसाधन। शिक्षकों का कहना है कि बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास में खेलकूद बेहद अहम भूमिका निभाता है, लेकिन प्रशासन की अनदेखी के चलते खेलकूद की गतिविधियां सिर्फ खेल दिवस तक ही सीमित रह गई हैं। विद्यालयों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चों को यूनिफॉर्म, कॉपी-किताबें और मिड-डे मील जैसी सुविधाएं तो उपलब्ध कराई जाती हैं, लेकिन इनका ...