बाराबंकी, मई 30 -- बाराबंकी। जिले की ग्रामीण व्यवस्था का मेरुदंड माने जाने वाले पंचायत भवनों की हकीकत कागजी फाइलों से इतर है। शासन की ओर से इन भवनों को ग्रामीण समस्याओं के निराकरण, योजनाओं के संचालन और ग्रामवासियों के संवाद का केंद्र बनाया गया है, लेकिन हकीकत यह है कि जिले के तमाम पंचायत भवन या तो ताले में बंद हैं, या फिर अधूरे निर्माण की दशा में वीरान पड़े हैं। जिला प्रशासन द्वारा नियुक्त पंचायत सचिवों और ग्राम विकास अधिकारियों की नियमित उपस्थिति इन भवनों में बेहद कम देखी जाती है। कई पंचायत भवन तो महीनों से ताले में बंद हैं, जबकि कुछ में सिर्फ नाम मात्र की उपस्थिति दर्ज कराई जाती है। पंचायत सचिव के अतिरिक्त अन्य कोई कर्मचारी या अधिकारी वहां नजर नहीं आता, जिससे ग्रामीणों की समस्याएं अनसुनी रह जाती हैं। देवा, सिरौलीगौसपुर, रामनगर, फतेहपुर औ...