बाराबंकी, मार्च 17 -- बाराबंकी। शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में दूध की डेयरियां कम होने लगी हैं। दुधारू पशु खासकर गांवों में उन लोगों के यहां अभी दिख रहे हैं जो खेती बाड़ी करते हैं। किसानों का कहना है कि खेती के साथ पशुपालन का कार्य इसलिए हो पा रहा है, क्योंकि चारा खरीदना नहीं पड़ता। पशुओं से गोबर की खाद भी आसानी से ही मिल जाती है। घर का बचा भोजन भी फेंकना नहीं पड़ता है। दूध की बिक्री कर लागत भी निकल जाता है, दूसरी तरफ परिवार को शुद्ध और ताजा दूध, दही के साथ घी उपलब्ध हो जाता है। किसानों ने कहा कि सरकार पशुपालकों के लिए भले योजना चला रही हो, लेकिन ऐसी कोई योजना नहीं है जिसका लाभ छोटे पशुपालक उठा सकें। सरकार को एक व दो मवेशियों के पालन की योजना चलानी चाहिए जो उन्हें पशुपालन के कार्य से जोड़ सके। दो गुना बढ़ गए चोकर के दाम: पशुपालक रा...