बाराबंकी, मार्च 10 -- बाराबंकी। लकड़ी के खिड़की मेज व अन्य फर्नीचर बनाने वाले बढ़ई की दुकानें तो जिले में कई हैं। मगर कम पूंजी वाले परेशान हैं। वहीं लोहार की पुरानी परम्परा आग से लोहे को लाल कर पीटकर उसे रूप देने की परम्परा तो लगभग खत्म हो गई है। विश्वकर्मा समाज के लोगों द्वारा वेल्डिंग की दुकानें खोली गईं। मगर लगातार लोहे के बढ़ते दाम व कम्पटीशन के कारण कई दुकानों का किराया तक नहीं निकला पा रहे हैं। पूंजी का संकट इनके सामने भी है। बैंक द्वारा आसानी से लोन नहीं दिया जा रहा है। विश्वकर्मा समाज को ही नहीं मिल रहा योजना का लाभ केन्द्र सरकार द्वारा पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना को लेकर अखिल भारतीय विश्वकर्मा कल्याण परिषद के पदाधिकारियों ने कहा कि इस योजना का लाभ हमारे समाज के लोगों के आठ-दस प्रतिशत भी नहीं मिलता है। जिसके कारण लोहार (वेल्डिंग...