बाराबंकी, दिसम्बर 2 -- शहर से लेकर तहसील व कस्बों की सड़कें आज आवागमन का सबसे बड़ा सहारा ऑटो और ई-रिक्शा बन चुके हैं। सुबह से लेकर देर रात तक शहर की व्यस्त गलियों में दौड़ते ये वाहन न सिर्फ आम नागरिकों की यात्रा आसान बनाते हैं, बल्कि सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था की कमजोर कड़ी को मजबूती भी देते हैं। लेकिन इन चालकों की कहानी उतनी सहज नहीं, जितनी उनकी सेवाएं हैं। शहर में हजारों ऑटो और ई-रिक्शा चालक रोजी-रोटी की तलाश में निकलते हैं, लेकिन उनके लिए न तो निर्धारित स्टैंड हैं और न ही सुविधाजनक पार्किंग स्थल और उन पर यातायात पुलिस की सख्ती से काफी परेशान है। इतना ही नहीं अनियमित वसूली की शिकायतें भी अक्सर सुनने को मिलती है। ऑटो फिटनेस और परमिट में देरी, जैसी समस्याएं इन चालकों के लिए रोज की सिरदर्दी बन चुकी हैं। बोले हिन्दुस्तान टीम की एक रिपोर्ट... बार...