बांदा, फरवरी 19 -- बांदा। तीज त्योहार तो छोड़ दीजिए। आम दिनों में 15-15 दिन बाद की तारीख देते थे फिर भी समय पर कपड़े सिलकर नहीं दे पाते थे। अब वो दिन लौटकर नहीं आएंगे। प्रतिस्पर्धा के इस दौर में हर दिन आते नए फैशन और रेडीमेड व्यवसाय ने कमर तोड़ दी है। अब तो होली, दीपावली, ईद, बकरीद पर भी गिने-चुने लोग ही कपड़े सिलवाकर पहनते हैं। युवा पीढ़ी रेडीमेड फैशन की तरफ भाग रही है। अगर व्यापार को बढ़ावा देना भी चाहें तो पैसे की व्यवस्था कहां से करें। सरकारी ऋण के बारे में जानकारी ही नहीं है, लेना तो दूर की कौड़ी है। यह दर्द आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तानसे दर्जियों ने बयां किए। कमलेश और फूलचंद्र समेत तमाम दर्जियों ने कहा कि रोजाना नया फैशन, प्रतिस्पर्धा और महंगाई ने झकझोर के रख दिया है। अब आने वाली पीढ़ी इस पेशे से मुंह मोड़ रही है। हमारे अस्तित्व पर संकट के ब...