बांदा, फरवरी 27 -- बांदा। किसी को क्या बताएं कितने मजबूर हैं, बस इतना समझ लीजिए कि हम मजदूर हैं। जो पूरे दिन में कमाते हैं, वहीं शाम को खाते हैं। सरकार खुद का व्यापार करने के लिए लोन दे रही है लेकिन कहां मिलता है। कोई बताता नहीं है। इतने पढ़े-लिखे भी नहीं हैं, कोई काम दे दे। चिल्ला रोड पावर हाउस के सामने लगी मजदूरों की भीड़ ने इन बातों से अपनी दुश्वारियां आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान के सामने रखीं शहर के पावर हाउस के सामने करीब दो सौ दिहाड़ी मजदूर काम मिलने की आस में रोजाना टकटकी लगाए खड़े रहते हैं। कइयों को काम भी मिलता है तो कुछ को बिना काम खाली हाथ घर लौटना पड़ता है। मजदूर रमेश, राधे, शिव, हरिओम ने कहा कि यही हमारा ठौर है। यहीं से पेट-पिपासा मिटाने को हाथों को काम मिलता है। हम सबके ख्वाबोंं का घर बनाते हैं। पर हमारे लिए कोई भी नहीं सोचता। य...