बांदा, मार्च 19 -- बांदा। शहर में करीब 800 सौ से अधिक लोग खाना बनाने का काम करते हैं, शादी-विवाह और अन्य कार्यक्रमों में खाना बनाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं, लेकिन दूसरों को स्वादिष्ट भोजन कराने वाले इन हलवाइयों को दुश्वारियों ने घेर रखा है। यह वर्ग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। आर्थिक रूप से कमजोर होने से इनके अंदर की प्रतिभा सिमट कर रह जाती है। नियमित काम व उचित पारिश्रमिक न मिलने से परिवार का भरण-पोषण करना भी मुश्किल हो जाता है। वहीं काम के अभाव में इन्हें किसी मिठाई कारोबारी या केटरिंग संचालक के पास दैनिक मजदूर की तरह काम करना पड़ता है। दिनेश और कैलाश कहते हैं कि अपने हुनर से इन्हें अच्छा मुनाफ कमाकर देने के बावजूद उन्हें उचित पारिश्रमिक भी नहीं मिलता है। बेरोजगारी और केटरिंग के बढ़ते चलने से हुनर दरकिनार: शहर के हलवाई कारीगरों ...