बांदा, फरवरी 22 -- बांदा। जिला बुंदेलखंड का दिल है, लेकिन यहां पर ही बुंदेली कलाकार उपेक्षित हैं। सांस्कृतिक विभाग जनपद में कराए जाने वाले आयोजनों में स्थानीय कलाकारों को तवज्जो न देकर बाहर से कलाकार बुलाता है। यदि अधिकारियों के चक्कर लगाने के बाद काम मिल भी जाए तो दाम के लिए भटकना पड़ता है। संरक्षण न मिलने से बुंदेली लोकविधाएं धीरे-धीरे विलुप्त होने की कगार पर हैं। जनपद में बुजुर्ग कलाकार हैं, जो आज भी पेंशन के लिए भटक रहे हैं। कई कलाकारों को मंच तक नहीं मिल पाया है। यह दर्द आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान से बुंदेली रंगकर्मियों ने बयां किया। दीनदयाल, नरेंद्र जैसे तमाम कलाकारों ने बताया कि आधुनिकता में बुंदेली लोकविधा धूमिल हो रही है। कारण, न ही कलाकारों को प्रोत्साहन मिलता है, न ही लोक विधाओं के संरक्षण का काम किया जा रहा है। इससे कलाकार उप...