बांदा, फरवरी 14 -- बांदा। जनपद में पांच सौ से अधिक सैलूनों में बारबर कार्यरत हैं, जो आवास, स्वास्थ्य, सुरक्षा, शिक्षा समेत सभी मूलभूत सुविधाओं से आज भी वंचित हैं। कई के पास आवास की स्थायी सुविधा तक नहीं है। शहर में बड़े-बड़े ब्रांडेड सैलून खुलने से पेशे पर खासा असर पड़ा है। इसलिए बेहतर प्रशिक्षण और सैलून खोलने के लिए ऋण मिले तो ये बारबर आगे बढ़ें, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं देता। सबसे बड़ी बात कि इनके समाज के 50 फीसदी के तो राशन कार्ड तक नहीं बने हैं। यह दुश्वारियां आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान से बातचीत के दौरान सविता समाज ने सामने रखीं। कामता, रामशरण समेत तमाम बारबरों ने बताया कि शहर में किराए पर कमरा लेकर किसी तरह से गुजर-बसर कर रहे हैं। 50 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिनके आज तक राशन कार्ड तक नहीं बने इसलिए सरकार की मुफ्त राशन वितरण योजना का लाभ ...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.