बहराइच, दिसम्बर 16 -- राष्ट्रीय फलक पर बांसुरी वादन में पहचान बनाने वाले दद्दू महाराज, साहित्यकार पारस नाथ मिश्र भ्रमर की कर्मस्थली रहे जिले में महज एक प्रेक्षागृह मल्टीपरपज कार्यों के लिए कुछ माह पूर्व बनकर तैयार हुआ है। इससे पूर्व कोई आडोटोरियम नहीं था। जबकि जिले को कर्मस्थली बनाने वाले तमाम रंगमंच कलाकारों ने राष्ट्रीय ही नहीं अन्तरराष्ट्रीय फलक पर भी अपनी पहचान बनाई है। फिर भी इन रंगकर्मियों का दर्द है कि यह पहचान बनाने को उन्हें अपनी कर्मस्थली छोड़ बाहर के शहरों में जाना पड़ रहा है। वजह ऑडिटोरियम, फाइनेंसर का न होना रहा है। जो ऑडिटोरियम बना है, उसका किराया ही इतना है कि रंगमंच कर्मी, नृत्य व गायन से जुड़े कर्मी उसे वहन करने में सक्षम नहीं है। आखिर वह कार्यक्रम की रिहर्सल करना चाहे, तो ऐसा ऑडिटोरियम नहीं है। जहां वह बिना किराया वहन कर...
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