बहराइच, जुलाई 21 -- घिनौनी सोंच वाले समाज के गाल पर एक चांटा पड़ता है, जब कोई दिव्यांग एक नया मुकाम हासिल करता है। शहर के पुलिस लाइन परिसर में दिव्यांग बच्चों के सपनों को उड़ान देने के लिए इसी उम्मीद के साथ शहर के पुलिस लाइन परिसर में आवासी एक्सीलेरेटेट विद्यालय खोला गया था। जिसमें दृष्टिबाधित बच्चों को शिक्षा के साथ उनके हुनर को तराशने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन वैश्विक महामारी के दौरान आकांक्षात्मक जिले बहराइच के इस विद्यालय में भी जकड़ा ताला छह साल बाद भी खोला नहीं जा सका है। खोलने को लेकर सरकारी स्तर पर प्रयास भी सार्थक नहीं हुए। नतीजा जिस गली से बच्चे आए थे उसी गली में फिर अपने सपने को बुनने में लगे हुए हैं। इसे सरकारी व्यवस्था कहेंगे या फिर दुर्भाग्य। प्रदेश के आठ आकांक्षात्मक जिले में शामिल बहराइच में दृष्टिबाधित बच्चों के लिए शैक...
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