बहराइच, अक्टूबर 7 -- स्वच्छता किसी भी बीमारी की पहली दवा है। गंदगी से बीमारियों को जन्म देने वाले कीटाणुओं का जन्म होता है और जब मरीज बीमार हो जाता है, तो अपना इलाज करने के लिए अस्पतालों में जाता है। तब पता चलता है कि इलाज करने वाले अस्पताल खुद बीमार हैं। ऐसे में मरीजों का इलाज कैसा होगा। कुछ ऐसा ही हाल जिले के अधिकांश आरोग्य मंदिरों का हाल है। कई आरोग्य मंदिर डॉक्टरों के अभाव में बंद हैं। अस्पतालों तक पहुंचने के लिए सड़कें नहीं है। मरीजों के बैठने की व्यवस्था नहीं है। पीने के पानी का अभाव रहता है। सफाई कर्मचारी नहीं हैं। सभी प्रकार की दवाएं व पैथालॉजिकल जांचें नहीं हो पाती हैं। सिर्फ दो चार प्रकार की दवाएं व जांचें ही उपलब्ध हो पा रही हैं, जिससे मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं लेने में लंबी दौड़ लगानी पड़ रही है। वहीं जिम्मेदारों का दावा है क...