बहराइच, सितम्बर 9 -- केन्द्र और प्रदेश सरकारों का ध्यान किसानों की आमदनी को बढ़ाने पर है, लेकिन परंपरागत खेती और उसके तौर तरीकों से यह काम थोड़ा मुश्किल भरा है, ऐसे में वैकल्पिक खेती किसानों की आमदनी बढ़ाने का अच्छा जरिया बनती जा रही है। परंपरागत फसलों के अलावा जिले के किसान बड़े पैमाने पर सब्जी की खेती कर रहे हैं। इसमें कुंदरू, परवल, आलू, टमाटर व लतावर्गीय फसलों को उगाने में किसान अब रुचि लेने लगे हैं, लेकिन लागत और मेहनत के अनुरूप उन्हें उचित मुनाफा नहीं मिल रहा है। इन सब्जियों की खेती करने वाले किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं हो सकी है। सिर्फ किसानों की रोजी-रोटी चल रही है। जिससे किसान बहुत परेशान हैं। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने सब्जी उत्पादकों से बात की तो उनका दर्द फूट पड़ा। गे हूं, चना, मक्का, धान, सरसों, गन्ना, दलहन के अलाव...