बहराइच, दिसम्बर 2 -- धुंआं उगलते डीजल आटो से आजिज लोगों में पांच वर्ष पूर्व बैट्री चालित ई रिक्शा एक सखद अहसास जगाते हुए आए थे। पर्यावरण संरक्षण में मददगार परिवहन के इस सुलभ साधन ने जहां कमजोर वर्ग के बेरोजगारों को आमदनी का महत्वपूर्ण जरिया उपलब्ध कराया था। पिछले पांच वर्षों में ई-रिक्शा शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों की सड़कों पर सवारियों को कम दूरी की यात्रा कराने के सबसे सुलभ साधन बनकर उभरे थे। बेतहाशा बढ़ते ई रिक्शा अब जाम की वजह बन रहे हैं। नियम कानून बनाने वालों ने इनके रूट भी निर्धारित न किए जाने से जब यह स्टेट व नेशनल हाईवे पर फर्राटे भर जाम व दुर्घटना की वजह बन रहे हैं। शहरी व कस्बाई इलाकों में यातायात नियम तोड़ने में सबसे आगे भी रहे हैं। हर चौक-चौराहे पर जाम की स्थिति पैदा हो रही। ई-रिक्शा चालकों का कहना है कि सरकार ने टैक्स मुक्त क...
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