बस्ती, मार्च 6 -- Basti News : चिलचिलाती धूप, कड़ाके की ठंड और मूसलाधार बारिश में ऑयल और ग्रीस से पुते गंदे कपड़े पहने मैकेनिक शहर से लेकर कस्बों तक में पसीना बहाते मिल जाएंगे। आमतौर पर इन्हें खुले आसमान के नीचे मौसम की मार झेलते हुए काम करना पड़ता है। कम शिक्षित होने के कारण सरकारी योजनाओं के प्रति ये जागरूक नहीं हैं। इसी कारण इन्हें शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता। अधिकतर का श्रम विभाग में पंजीकरण भी नहीं है। जहां ये काम करते हैं वहां पीने के शुद्ध पानी और शौचालय तक की व्यवस्था नहीं होती है। असंगठित होने से इनकी समस्याएं न सियासी मुद्दा बनतीं न राजनीतिज्ञ ही ध्यान देते हैं। जब तक हाथ-पैर चलता तब तक दो जून की रोटी का प्रबंध हो जाता है। बुढ़ापे में काम नहीं कर पाते और कमाई बंद हो जाती है। जीवन का आखिरी पड़ाव काफी तकलीफ में गुजरता है। 'हिन...