बलिया, फरवरी 16 -- अधिवक्ता कानून के जानकार होते हुए भी 'कानूनचियों के बीच उलझ कर रह गए हैं। न्यायालयों का नियमित संचालन न होने से मुकदमों का बोझ तो ही बढ़ रहा है, वादकारियों की झल्लाहट भी उन्हें ही झेलनी होती है। कोर्ट परिसर की अपनी समस्याएं हैं। उनकी सुनवाई न होने का मलाल भी है। कहते हैं, कार्यस्थल का माहौल बेहतर हो तथा सुविधाएं-संसाधन के लिए भी 'जिरह न करनी पड़े तो वकालत पटरी पर दौड़ लगाने लगेगी। सिविल बार एसोसिएशन के सभागार में 'हिन्दुस्तान से संवाद में एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष देवेंद्र कुमार दूबे ने बताया कि कोर्ट का विस्तार अधिवक्ताओं के लिए मुसीबत बन गया है। नया भवन ऐसे व्यस्त क्षेत्र में बना है जहां आना-जाना आसान नहीं। कचहरी से निकलते ही गेट के बाहर रोडवेज के पास जाम से सामना होता है। यहां से किसी तरह निकले तो आगे रेलवे क्रॉसिंग बंद...
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