आजमगढ़, फरवरी 23 -- रूढ़िवादी परंपराओं और बंधनों की बेड़ियां तोड़कर आसमान में ऊंची उड़ान भरने की हसरत लिए बेटियां हर रोज मैदानों पर पहुंच रही हैं। कभी आधी आबादी की खेल गतिविधियां नगर के स्टेडियम तक सीमित थीं, अब गांवों के भी मैदान उनसे गुलजार हैं। सीमित संसाधनों के बीच पसीना बहा रहीं बेटियां प्रदेश और देश में अपनी प्रतिभा का डंका बजा रही हैं। कुछ कर गुजरने के जज्बे से भरी इन बालिका खिलाड़ियों का कहना है, बेहतर माहौल और संसाधन मिलें तो वे पदकों से देश की झोली भर देंगी। जिला मुख्यालय स्थित तहसीली स्कूल के मैदान में 'हिन्दुस्तान से बातचीत में बालिका खिलाड़ियों का जोश 'हाई दिखा। आंखों में पदक की चमक थी तो संसाधनों के अभाव का मलाल भी नजर आया। वॉलीबाल खिलाड़ी रंजना यादव, शीतल वर्मा और प्रिया भारती ने कहा कि नरही वॉलीबाल ग्राउंड पर दो दर्जन से अ...