बलिया, फरवरी 21 -- आम लोगों को न्याय दिलाने में राजस्व न्यायालयों की भूमिका खास है, लेकिन उनके संचालन के लिए अधिवक्ताओं को जूझना पड़ रहा है। अभिलेखागार से महीनों नकल नहीं मिलती। पुराने अभिलेख सहेजने की पहल नहीं हो रही। परिसर में बार एसोसिएशन के लिए आवंटित जमीन का सीमांकन नहीं हो सका है। शौचालय सुविधा नहीं है। तकलीफ यह भी है कि बिना गुण-दोष तय हुए मुकदमे खारिज कर दिए जाते हैं। पोर्टल पर नए मुकदमे दर्ज नहीं होने से न्याय दिलाना मुश्किल हो रहा है। बेतरतीब खड़े वाहनों से वकील चोटिल होते हैं। कलक्ट्रेट चौराहे पर 'हिन्दुस्तान से बातचीत में अधिवक्ताओं ने अपना दर्द साझा किया। दी सेंट्रल बार एसोसिएशन के सचिव उमेश प्रताप ने बताया कि राजस्व न्यायालयों का संचालन एक कोरम हो गया है। सिस्टम की मनमानी ऐसी है कि आम लोगों को न्याय दिलाना कठिन होता जा रहा ह...