बलिया, मार्च 17 -- बलिया। परिषदीय स्कूलों के बच्चों के लिए दोपहर का 'निवाला तैयार करने वाली रसोइयों के बच्चों के निवाले पर संकट है। 11 महीने काम के बदले दस माह का ही मानदेय। दैनिक 54 रुपये के हिसाब से। वह भी समय से नहीं मिलता। रसोइया की नियुक्ति में विधवा को वरीयता दी जाती है तो कुछ सख्त शर्तें भी हैं। स्कूल की छुट्टियों के अतिरिक्त कोई अवकाश नहीं मिलता। स्कूलों के अलावा उन्हें आंगनबाड़ी बच्चों के लिए गर्म भोजन बनाना पड़ता हैं। ड्रेस भत्ता तय है लेकिन वह आज तक नहीं मिला है। चद्रशेखर उद्यान (कम्पनी बाग) में 'हिन्दुस्तान के साथ बातचीत में रसोइया महासंघ की जिलाध्यक्ष रेनू शर्मा ने कहा कि स्कूलों की छुट्टी के अलावा उन्हें जरूरत होने पर अवकाश नहीं मिलता। हम या परिवार के सदस्य भी बीमार हो सकते हैं, ऐसा शायद ऊपर के लोग नहीं मानते। अवकाश मांगने पर ...
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