बलिया, फरवरी 15 -- कहने को फार्मासिस्ट चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग के 'स्लाइड रिंच हैं लेकिन उनकी अपनी ही पेच उलझी है। जिम्मेदारों की अनदेखी उन्हें सालती है। पद का मानक अंग्रेजों के जमाने का है जबकि आबादी कई गुना बढ़ चुकी है। इससे काम का दबाव रहता है। एक दिन में दो ड्यूटी के एवज में अतिरिक्त भुगतान नहीं मिलता। एनपीएस कटौती का पासबुक छह वर्ष बाद भी नहीं मिला है। कोरोना काल के डीए भुगतान को अबतक टकटकी लगाए हैं। टीम आधारित प्रोत्साहन राशि नहीं मलती। वरिष्ठता सूची 10 वर्षों से लंबित है। जनपदीय ड्रग वेयर हाउस पर 'हिन्दुस्तान से बातचीत में फार्मासिस्टों ने अपनी बातें रखीं। डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष मलय कुमार पांडेय ने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र में चिकित्सक को छोड़ सभी कार्य फार्मासिस्ट के निर्देश पर ही करने का प्रावधान है, लेकिन...