बलिया, जून 12 -- खेलों में एक ओर नई तकनीक और नए कानून गढ़े जा रहे हैं, वहीं जिले का इकलौता वीर लोरिक स्पोर्ट्स स्टेडियम पुराने ढर्रे पर ही है। यहां एथलेटिक्स के खिलाड़ियों को 'बेसिक सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। उन्हें ग्राउंड के लिए भी जूझना पड़ता है। जिम हॉल के लिए अत्याधुनिक मशीनें वर्षों पहले ही आ गई थीं, लेकिन खिलाड़ी उन्हें सिर्फ निहार सकते हैं। थ्रोइंग सेक्टर दो वर्षों से उपयोग लायक नहीं है। सिंथेटिक ग्राउंड न होने से प्रतिस्पर्धात्मक खेलों के अभ्यास में बहुत दिक्कतें होती हैं। एथलीटों ने सुविधाओं की मांग की है। वीर लोरिक स्टेडियम में 'हिन्दुस्तान से बातचीत में एथलेटिक्स खिलाड़ियों ने अभ्यास, प्रतियोगिता और खेल मैदान से जुड़ी दिक्कतें साझा कीं। शौर्य सिंह ने कहा कि अभ्यास के लिए ट्रैक और फील्ड की आवश्यकता होती है। वहां रनिंग, जंपिं...