बरेली, अप्रैल 9 -- ईंट भट्ठा मजदूरों की जिंदगी अत्यधिक संघर्षपूर्ण और दुखों से भरी हुई है। दिन-रात कड़ी मेहनत करने के बावजूद उनकी आमदनी इतनी कम होती है कि वे अपने परिवार का ठीक से पालन-पोषण भी नहीं कर पाते। ईंट पाथने और ढोने का काम करने वाले ये मज़दूर ना केवल शारीरिक रूप से थक जाते हैं, बल्कि आर्थिक तंगी, शिक्षा की कमी और स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में भी जूझते हैं। उनके बच्चों का भविष्य भी अनिश्चित है, क्योंकि उन्हें उचित शिक्षा नहीं मिल पाती और परिवार की गरीबी के कारण उनकी पीढ़ी दर पीढ़ी यही संघर्ष जारी रहता है। ईंट भट्ठे पर काम करने वाले मज़दूरों की जिंदगी पूरी तरह से संघर्षों और गरीबी में बसी हुई है। हर दिन उनका समय ईंट पाथने और ढोने में ही गुजर जाता है, लेकिन इसके बावजूद उनकी आमदनी इतनी कम होती है कि वे अपने परिवार का ठीक से पालन पोषण ...