बरेली, मार्च 18 -- बरेली में हजारों बीड़ी श्रमिकों का जीवन कठिनाईयों से भरा हुआ है। इनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं, जो प्रतिदिन 8 से 10 घंटे काम करके अपने परिवार का पेट पालने की कोशिश करते हैं। लेकिन उनकी आय बहुत ही कम है, जिससे वे बच्चों को पढ़ाई की सुविधा नहीं दे पाते। इसके अलावा, तंबाकू और तेंदू पत्ते से बीड़ी बनाने की प्रक्रिया में श्रमिकों को एलर्जी और सांस संबंधी समस्याएं हो रही हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा, और पीएम आवास या राशन जैसी बुनियादी सुविधाओं से भी वे वंचित हैं। सरकार से इन बीड़ी श्रमिकों के लिए विशेष योजनाओं और सम्मान निधि की मांग की जा रही है ताकि उनके बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके। देश में एक बड़ा हिस्सा उस तबके का है, जो प्रतिदिन मेहनत करके अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करता है। बीड़ी बनाने का ...
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