बरेली, मार्च 12 -- तड़के उजाला होने से पहले ही घर से निकल पड़ते हैं। किसी को साइकिल तो किसी को मोटरसाइकिल पर पीपे लादकर पहुंचना पड़ता है। सर्दी-गर्मी हो या फिर बारिश, किसी भी स्थिति में दूधिये समय पर दूध देते हैं। इनका कहना है कि कई बार देहात क्षेत्र से शहरी इलाके में दूध लाने के दौरान मौसम का असर पड़ने से दूध खराब हो जाता है, जिससे उन्हें काफी नुकसान होता है। ऐसे में इनकी मांग है कि शहर में एक दूध मंडी या फिर सरकारी डेयरी हो, जहां वह अपना दूध बेच सकें। साथ ही श्रमिकों की तरह इन्हें भी सरकारी योजनाओं का लाभ मिले। ठिठुरन भरी सर्दी हो या फिर चिलचिलाती गर्मी, चाहे झमाझम पानी ही क्यों न गिर रहा हो। हर मौसम में हाड़तोड़ मेहनत संग सफर तय कर समय पर घर-घर हम दूध पहुंचाते हैं। तिथि-त्योहारों पर अधिक दूध बेचकर पिछला मुनाफा औसत में कर लेते हैं। लेकि...
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