बरेली, अप्रैल 10 -- गांव के विकास को रफ्तार देने में सबसे अहम भूमिका मनरेगा ने निभाई है। मनरेगा की रीढ़ श्रमिक हैं। मनरेगा श्रमिका ग्रामीण विकास को अपने पसीने से सींचते हैं। सुबह से शाम तक कड़ी मेहनत करते हैं। चकरोड़ से लेकर सीसी रोड तक तमाम विकास के काम मनरेगा श्रमिकों के कंधों पर हैं। बरेली में मनरेगा श्रमिकों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई है। चार महीने से मनरेगा श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ है। श्रमिकों की 24.14 करोड़ की मजदूरी बकाया है। रोजाना बैंक जाकर पासबुक चेक करते हैं। जरूरी खर्च रुक गए हैं। बच्चों की फीस जमा नहीं हो पा रही है। बीमारी का उपचार नहीं करा पा रहे हैं। मजदूरी के भुगतान के लिए अफसरों से गुहार लगा रहे हैं। नतीजा कुछ नहीं निकला। हिन्दुस्तान के बोले बरेली अभियान की टीम से मनरेगा श्रमिकों ने अपनी परेशानियों को साझा...
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