फिरोजाबाद, मार्च 21 -- वॉलीबॉल के मैदान पर जमकर पसीना बहाते हैं। कॉलेज के स्तर पर जो सुविधाएं हैं, उनमें ही अपना बेहतर से बेहतर प्रदर्शन करने पर जोर देते हैं। जिले में आयोजन नहीं होते हैं तो अपने ही साथियों के साथ में टीम बना प्रदर्शन को सुधार रहे हैं। हर बॉल को गिरने से बचाने का दम रखते हैं, लेकिन वह खुद भी मानते हैं कि खेल की कई तकनीक से वह भी अनजान हैं। सुविधाएं न मिलने से कई खेल प्रतिभाएं उभरने से पहले ही अपने ही कॉलेज परिसर में या दोस्तों के साथ में खेलते-खेलते ही दब जाती हैं। खेल पर सरकार का विशेष ध्यान है, लेकिन धरातल पर हालात दूसरे हैं। कई इंटर कॉलेजों में खेल शिक्षक नहीं तो डिग्री कॉलेज का भी यही हाल है। सेल्फ फाइनेंस सेक्टर चलाने वाले कुछ कॉलेज अपने स्तर पर खेल शिक्षक की व्यवस्था किए हुए हैं लेकिन अनुदानित कॉलेजों में ग्रांट ही ...
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