फिरोजाबाद, मई 10 -- बाल श्रम पर रोक लगी है, लेकिन इसके बाद भी शहर में चाय के ढाबे पर जाएं तो छोटू (किशोर उम्र बच्चे) ही चाय का गिलास लेकर आते हुए दिखाई देते हैं। ढाबों पर भी छोटे-छोटे बच्चे बर्तन मांज रहे हैं, इनमें से अधिकांश बच्चे इन श्रमिक बस्तियों के हैं तो जो बच्चे सीधे तौर पर बालश्रम से नहीं जुड़े हैं वह घर पर चूड़ी के काम में लगे हैं। हालांकि चूड़ी के काम में लगे इन बच्चों के नाम स्कूलों में लिके हैं, लेकिन सप्ताह में एक-दो दिन ही वह स्कूल जाते हैं। इस स्थिति में इनकी शिक्षा भी अधूरी रह जाती है तो भविष्य के ख्वाब भी रहते हैं अधूरे। श्रमिक बस्तियों में हालांकि कई समाजसेवी संगठनों द्वारा कार्य किया जा रहा है। समाजसेवियों ने इन क्षेत्र की कई महिलाओं को भी जोड़ कर केंद्रों का शुभारंभ कराया है। हिन्दुस्तान ने बोले फिरोजाबाद के तहत जब इन क्ष...