फर्रुखाबाद कन्नौज, अप्रैल 10 -- शहर मे भी जिस तरीके से निजी स्कूलों ने मनमाना रवैया अपना रखा है और मर्जी से संस्थाएं चला रहे हैं इस पर कोई रोकने और टोकने वाला तक नहीं है। जिम्मेदारों को भी परवाह नहीं है। इससे अभिभावक शोषण का शिकार हो रहा है। किताब, कॉपी, फीस, ड्रेस की कीमत में ही उलझकर अभिभावक इस तरह चिंतित है कि वह अपने बच्चों को कैसे पढ़ाएं? कई निजी स्कूलों के आगे तो जिम्मेदार भी पूरी तौर पर नतमस्तक दिखायी पड़ रहे हैं। अभिभावकों की मांग के बाद भी निजी विद्यालय में एनसीईआरटी की किताबें तक नहीं प्रयोग में आ रही हैं। आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान शिवम त्रिपाठी कहते हैं कि निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश नहीं लगाया जा रहा है। यही वजह है कि अब तो निजी स्कूलों में आम लोग अपने बच्चों को पढ़ा भी नहीं सकते हैं। बच्चे के एडमीशन पर प...