फर्रुखाबाद कन्नौज, मार्च 13 -- फाग तो 15 दिन पहले ही शुरू हो जाता था और 15 दिन बाग नवरात्र तक गांव में चला करता था। बुजुर्गों की माने तो अब गांव में फाग गाने वाले लोग ही नहीं बचे हैं। अब फाग की थाप और गानेवालों को पहचान की दरकार है। दौलतियापुर गांव के बुजुर्ग छंगे कहते हैं कि रंगों के त्योहार होली का न तो पहले जैसा उत्साह रहा और न वैसा होली गायन। पहले तो हम लोग फाल्गुन माह शुरू होते ही फाग गायन शुरू कर देते थे और नवरात्र तक यह चलता था। एक दूसरे गांव में होली मिलने जाते थे। फाग गायन के दौरान पूरी टीम एकत्रित होती थी। अब ऐसा नहीं है। जनैया सठैया गांव का फाग गायन तो काफी चर्चित रहा है। अब यहां पर एक दो लोग ही रह गए हैं जिन्हें फाग गायन में दिलचस्पी है। यहां के बुजुर्ग कहने लगे कि पहले लोगों के पास समय हुआ करता था। होली गायन के साथ एक दूसरे स...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.