फर्रुखाबाद कन्नौज, जून 10 -- गंगा , रामगंगा के अलावा काली नदी में यदि कोई स्नान पर्व या फिर अन्य मौकों पर किसी गफलत में कोई डूबता है तो गोताखोरों की ही मदद ली जाती है। तैराकी में महारथ हासिल करने वालों की जिले में 100 से अधिक संख्या है। गोताखोरों का जीवन स्तर जिस तरह से चल रहा है, उससे यही लग रहा है कि सरकारी योजनाएं उन तक नहीं पहुंची हैं। खास तौर पर स्नान पर्व पर प्रशासन गोताखोरों की मदद लेता है और आर्थिक मदद का भरोसा भी दिया जाता है, पर काम निकलने के बाद गोताखोरों की क्या जरूरतें हैं उसको ही जिम्मेदार भूल जाते हैं। यही नहीं नदियों में किसी के डूबने से मौत होने के बाद बाडी निकालने की बारी आती है तो संबन्धित के परिजन और प्रशासन जो आर्थिक राशि देने का वचन देता है उसमें भी कटौती कर दी जाती है। यदि राशि की मांग की जाती तो मानवीयता का हवाला द...