फर्रुखाबाद कन्नौज, फरवरी 16 -- फर्रुखाबाद। चमकीले धागे को सुई से लपेट कपड़े पर करिश्मा बुनने की कला को जरदोजी कहते हैं। जरदोजी का काम करने वाले कारीगर अपनी उंगलियों के हुनर से लहंगा और साड़ियों को खूबसूरत बना देते हैं। जरदोजी कला में 45 हजार कारीगर अपनी बेमिसाल शिल्प से परिधान को सजाने संवारने का काम कर रहे हैं। आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान से बातचीत में जरदोजी कारीगरों ने अपना दर्द बयां किया। कारीगर नौशाद ने बताया कि दस-दस घंटे तक काम करना पड़ता है पर उस हिसाब से मजदूरी नहीं मिलती है। जरदोजी कारीगर उल्टे सवाल करने लगते हैं कि क्या आपको मालूम है कि यह बारीक नजर बस दो जून की रोटी कमाने तक ही सीमित है। उसके आगे कुछ नहीं है। जरदोजी कला में रेशम से काम, करदाना मोती, कोरा नक्शीश, सादी कसब जैसे काम किए जाते हैं। समय के बदलाव के साथ ही चिकन पर भी ज...